Poem – संतोष सबसे बड़ा है धन
पायी सन्तुष्टता की सर्वश्रेष्ठ पूँजी, जो है सर्व दिव्यगुणों की कुंजी
संतोष सबसे बड़ा है धन, जो तृप्त कर देता अन्तर्मन
सन्तुष्टता से आती प्रसन्नता, सदा वो रहता मुस्कराता
उसका दिल सदा गाता गीत, बनता वह सबका मीत
जिसकी दिव्य सुगंध से महक उठा मन उपवन
(संतोष सबसे बड़ा है धन, जो तृप्त कर देता अन्तर्मन)
संतोष गुण है सबसे मनभावन, बरसाता सबपे सुख सावन
सन्तुष्टता ऐसी है शक्ति, सर्व बातों को जो सहज कर सकती
जिससे आती वाणी में मधुरता, दिव्य बनते हर कर्म
(संतोष सबसे बड़ा है धन, जो तृप्त कर देता अन्तर्मन)
सर्व प्राप्तियों से आती सन्तुष्टता, जिसके लिए जोड़े प्रभु से मित्रता
पाए उनसे सर्व सम्बंधों का सुख, सीखे कैसे रहें सदा खुश
ईश्वरीय ज्ञान–योग से बना मन सुमन, शुद्ध संकल्पों में करता अब रमण
(संतोष सबसे बड़ा है धन, जो तृप्त कर देता अन्तर्मन)
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