पवित्रता की खुशबू ने मन को है महाकाया

पवित्रता की खुशबू ने मन को है महाकाया
ज्ञानयोग की वासधुप ने स्वरूप है निखारा

दृष्टि में समाई सबकी विशेषता, वृत्ति में शक्तिशाली शुभ भावना
सुखदाई बना स्वभाव, सीखा सन्तुष्ट रहना और करना
जिसने लायी सम्बन्धों में सुमधुरता
(पवित्रता की खुशबू ने मन को है महाकाया..)

बोल में आई मधुरता, मीठी मुस्कान से चमक उठा चेहरा
दिव्य-अलौकिक बनी स्मृतियाँ, संकल्प में आई बेहद उदारता
दिल में समाया प्यारा पिता परमात्मा
(पवित्रता की खुशबू ने मन को है महाकाया..)

व्यर्थ को देकर विदाई, जीवन में बजी खुशियों की शहनाई
साधारण-ता से होकर उपराम, महान बन करते विश्व कल्याण
सांसें सफल कर पाई जीवन में सफलता
(पवित्रता की खुशबू ने मन को है महाकाया..)


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